NCERT Class 10 Hindi Kritika Bhag II Fourth Chapter Yehi Theyan Jhulne Hirane Ho Rima Exercise Question Solution
एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा
(1) हमारी आज़ादी की लड़ाई में समाज के उपेक्षित माने जाने वाले वर्ग का योगदान भी कम नहीं रहा है। इस कहानी में ऐसे लोगों के योगदान को लेखक ने किस प्रकार उभारा है?
Ans :- लेखक ने टुन्नू व दुलारी जैसे पात्रों के माध्यम से उस वर्ग को उभारने की कोशिश की है, जो समाज में उपेक्षित वर्ग के रूप में देखे जाते हैं। दुलारी एक मशहूर गायिका थी व टुन्नू भी दुलारी की तरह उभारता गायक था। टुन्नू ने आज़ादी के लिए अपने प्राणों की आहूति देकर ये सिद्ध किया कि ये वर्ग मात्र नाचने या गाने के लिए पैदा नहीं हुए हैं । इसी तरह दुलारी द्वारा रेशमी साड़ियों को जलाने के लिए देना भी एक बहुत बड़ा कदम था।
(2) कठोर हृदयी समझी जाने वाली दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर क्यों विचलित हो उठी ?
Ans :- दुलारी वह एक अकेली स्त्री थी। इसलिए स्वयं की रक्षा हेतु वह कठोर आचरण करती थी। परन्तु अंदर से वह बहुत नरम दिल की स्त्री थी। टुन्नू दुलारी से प्रेम करता था, परन्तु दुलारी हमेशा टुन्नू को दुतकारती रहती थी क्योंकि टुन्नू उससे उम्र में बहुत छोटा था। परन्तु ह्रदय से वह उसका प्रणय निवेदन स्वीकार करती थी। टुन्नू की मृत्यु का समाचार पाकर उसका ह्रदय दर्द से फट पड़ा। उसकी मृत्यु ने टुन्नू के प्रति उसके प्रेम को सबके समक्ष प्रस्तुत कर दिया।
(3) कजली दंगल जैसी गतिविधियों का आयोजन क्यों हुआ करता होगा ? कुछ और परंपरागत लोक आयोजनों का उल्लेख कीजिए।
Ans :- यह आयोजन मात्र मंनोरंजन का साधन हुआ करता था। इनमें लोगों की प्रतिष्ठा का प्रश्न रहा करता था। कजली गायकों को बुलवाकर समारोह का आयोजन करवाया जाता था। भारत में तो विभिन्न स्थानों पर अलग−अलग रूपों में अनेकों समारोह किए जाते हैं; जैसे- राजस्थान में लोक संगीत व पशु मेलों का आयोजन, उत्तर भारत में कुश्ती का आयोजन, पंजाब में लोकनृत्य व लोकसंगीत का आयोजन, किया जाता है।
(4) दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक – सांस्कृतिक दायरे से बाहर है फिर भी अति विशिष्ट है। इस कथन को ध्यान में रखते हुए दुलारी की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।
Ans :- दुलारी एक प्रभावशाली गायिका है उसकी आवाज़ में मधुरता का सुन्दर संयोजन है। उसका सामना अच्छे से अच्छा गायक भी नहीं कर पाता था।दुलारी अपने देश के प्रति समर्पित स्त्री थी। उसने बिना हिचके फेंकू द्वारा दी रेशमी साड़ियों के बंडल को आदोलनकारियों को जलाने हेतु दे दिया। दुलारी एक समर्पित प्रेमिका थी। वह टुन्नू से मन ही मन प्रेम करती थी। परन्तु उसने अपने प्रेम को कभी व्यक्त नहीं किया। टुन्नू के मृत्यु ने उसके ह्दय तोड़ दिया। वह किसी से नहीं डरती थी। दुलारी का अपना कोई नहीं था। वह अकेली रहती थी। अतः अपनी रक्षा हेतु उसने स्वयं को निडर बनाया हुआ था। इसी निडरता से उसने फेकूं की दी हुई साड़ी जुलूस में फेंक दी। टुन्नू की मृत्यु के पश्चात उसने अंग्रेज़ विरोधी समारोह में भाग लिया तथा गायन पेश किया।
(5) दुलारी का टुन्नू से पहली बार परिचय कहाँ और किस रूप में हुआ ?
Ans :- टुन्नू व दुलारी का परिचय भादों में खोजवाँ बाज़ार में हुआ था। जहाँ वह गाने के लिए बुलवाई गई थी। दुक्कड़ पर गानेवालियों में दुलारी का खासा नाम था। बड़े − बड़े गायक उसके आगे पानी भरते नज़र आते थे और यही कारण था कि कोई भी उसके सम्मुख नहीं आता था। उसी कजली दंगल में उसकी मुलाकात टुन्नू से हुई थी। एक सोलह−सत्रह वर्ष के लड़के ने दुलारी को भी अपने आगे नतमस्तक कर दिया था। यह एक उभरता कजली गायक था परन्तु बड़े − बड़ों को हारा देती। इस कजली गायक ने दुलारी का मन मात्र ६ महीने में जीत लिया था।
(6) दुलारी का टुन्नू को यह कहना कहाँ तक उचित था — ” तैं सरबउला बोल जिन्नगी में कब देखले लोट ? …!” दुलारी के इस अपेक्षा में आज के युवा वर्ग के लिए क्या संदेश छिपा है ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
Ans :- दुलारी ने उन लोगों पर आक्षेप किया है जो असल ज़िन्दगी में कुछ करते नहीं । उसके अनुसार इस ज़िन्दगी में कब क्या हो जाए किसी को नहीं पता। इसलिए हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए।
(7) भारत के स्वाधीनता आंदोलन में दुलारी और टुन्नू ने अपना योगदान किस प्रकार दिया ?
Ans :- दुलारी ने अपना स्वाधीनता आंदोलन में योगदान रेशमी साड़ी व फेंकू द्वारा दिए गए रेशमी साड़ी के बंडल को देकर दिया। बेशक वह प्रत्यक्ष रूप में आन्दोलन में भाग नहीं ले रही थी। टुन्नू ने स्वतन्त्रता संग्राम में एक सिपाही की तरह अपना योगदान दिया था। उसने रेशमी कुर्ता व टोपी के स्थान पर खादी के वस्त्र पहनना आरम्भ कर दिया। अंग्रेज विरोधी आन्दोलन में वह भाग लेने लग गया था और इसी आन्दोलन में टुन्नू शहीद हो गई।
(8) दुलारी और टुन्नू के प्रेम के पीछे उनका कलाकार मन और उनकी कला थी ? यह प्रेम दुलारी को देश प्रेम तक कैसे पहुँचाता है ?
Ans :- दुलारी और टुन्नू के ह्रदय में एक दूसरे के प्रति अगाध प्रेम था और ये प्रेम उनकी कला के माध्यम से ही उनके जीवन में आया था। दुलारी ने टुन्नू के प्रेम को कभी स्वीकारा नहीं परन्तु वह मन ही मन उससे बहुत प्रेम करती थी। दुलारी जानती थी कि टुन्नू का प्रेम शारीरिक नहीं हैं। उसका प्रेम आत्मिय था और इसी भावना ने दुलारी के मन में टुन्नू के प्रति श्रद्धा भर दी थी। परन्तु टुन्नू की मृत्यु के समाचार ने दुलारी के ह्रदय पर आघात किया। अंग्रेज द्वारा टुन्नू की हत्या, दुलारी के कलाकार को प्रेरित किया और उसने स्वतन्त्रता सेनानियों द्वारा आयोजित समारोह में अपने गायन से नई जान फूंक दी। यही से उसने देश प्रेम का मार्ग चुना।
(9) जलाए जाने वाले विदेशी वस्त्रो के ढेर में अधिकांश वस्त्र फटे – पुराने थे परंतु दुलारी द्धारा विदेशी मीलों में बनी कोरी साड़ियों का फेंका जाना उसकी किस मानसिकता को दर्शाता है ?
Ans :- दुलारी ने विदेशी वस्त्रों के ढेर में अपनी कोरी साड़ियों फेंक दी। इससे यह दर्शाता है कि वह एक सच्ची हिन्दुस्तानी है। घर-घर से वस्त्र फेंके गए थे पर वो सारे वस्त्र पुराने थे। परन्तु दुलारी के साड़ि बिलकुल नए थे। उसके ह्रदय में देश के सम्मान का मोह था। वह उसकी सच्चे देश प्रेमी की मानसिकता को दर्शाता है।
(10) ” मन पर किसी का बस नहीं ; वह रूप या उमर का कायल नहीं होता। ” टुन्नू के इस कथन में उनका दुलारी के प्रति किशोर जनित प्रेम व्यक्त हुआ है परंतु उसके विवेक ने उसके प्रेम को दिशा की और मोड़ा ?
Ans :- टुन्नू दुलारी से प्रेम करता था। वह दुलारी से उम्र में बहुत ही छोटा था।इसलिए वह उसका तिरस्कार करती रहती थी। परन्तु इन वाक्यों ने जैसे एक अल्हड़ लड़के में प्रेम के प्रति सच्ची भावना देखी। उसका प्रेम शरीर से नहीं था। उसका प्रेम आत्मा से था। टुन्नू के द्वारा कहे वचनों ने दुलारी के ह्रदय में उसके आसन को और दृढ़ता से स्थापित कर दिया।
(11) ‘एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा !’ का प्रतीकार्थ समझाइए।