Karnataka 2nd PUC Hindi Madhyakalin Kavita Chapter 4 बिहारी के दोहे Questions and Answers Solution, Notes by Expert Teacher. Karnataka Class 12 Hindi Solution Chapter 4.
There are 3 Parts in Karnataka Class 12 Textbook. Here You will find Madhyakalin Kavita Chapter 4 Raheem Ke Dohe.
Karnataka 2nd PUC Hindi Madhyakalin Kavita Chapter 4 – बिहारी के दोहे Solution
- State – Karnataka.
- Class – 2nd PUC / Class 12
- Subject – Hindi.
- Topic – Solution / Notes.
- Chapter – 4
- Chapter Name – बिहारी के दोहे.
I एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
1) किस वस्तु को पाकर मनुष्य उन्मत्त होता है ?
कनक मतलब सोने को प्रकार मनुष्य उन्मत्त होता है।
2.) भगवान कब प्रसन्न होते हैं ?
सच्चे मन से जब हम भगवान का स्मरण करते हैं, भगवान का नाम लेते हैं तभी भगवान प्रसन्न होते हैं।
3.) बाँसुरी किस रंग की है ?
बांसुरी हरि रंग की है।
4.) प्रेमी चित्त कब उजला होता है ?
शाम के रंग में जब हमारा चित्त रंग जाता है तब वह उज्जवल होता है।
5.) सम्पत्ति रुपी सलिल के बढ़ने का क्या परिणाम होता है ?
जब संपत्ति रूपी सलिल मतलब पानी बढ़ता है तब हमारा मन रूपी जो सरोज होता है मतलब कमल वह बढ़ता जाता है।
6.) वस्तुएँ कब सुन्दर प्रतीत होती हैं ?
समय-समय पर वस्तुएं सुंदर प्रतीत होती है।
7.) पातक, राजा और रोग किसे दबाते हैं ?
दुर्बल लोगों को पातक, राजा और रोग दबा देते हैं।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
1.) बिहारी ने दोनों कनक के संबंध में क्या कहा है ?
बिहारी ने कनक यह वस्तु दो अर्थों से स्पष्ट की है। पहले कनक का अर्थ बिहारी जी ने धतूरा बताया है इससे नशा चढ़ता है। और दूसरा अर्थ सोना बताया है। इस सोने को देख मनुष्य पागल हो जाता हैं। दोनों से ही मादकता बढ़ जाती हैं।
2.) सम्पत्ति रूपी पानी और मन रूपी कमल के संबंध में बिहारी के क्या विचार हैं?
बिहारी कहते है की जब हमारे पास समाप्ति रूपी पानी बढ़ता है तब हमारे मन रूपी कमल की वेल बढ़ जाती हैं। जब पानी कम हो जाता है तब कमल की नाल काम नहीं हो जाती लेकिन उसकी जड़े सुख जाती हैं और जब पानी फिरसे बढ़ता है तब नाल उस पानी में तैरने लगती हैं।
3.) सब वेद और स्मृतियाँ क्या बताते हैं ?
बिहारी कहते हैं कि हमें वेदशास्त्र, स्मृतियों की जानकारी होनी चाहीए। अगर हम दुर्बल है तो पापी लोग हमे दबाएंगे। दुर्बल लोग ही इनके सामने दब जाते हैं। इसीलिए हमें दुर्बल नहीं बनना है। अगर हम कमजोर है तो हमारा शरीर रोगों से भर जाएगा। इसीलिए हमे कमजोर भी नही होना है।
III) ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए:
1.) कनक कनक तैं सौगुनी, मादकता अधिकाइ |
उहिं खाएँ बौराड़, इहिं पाएँ ही बौराइ”
प्रसंग. यह दोहा साहित्य गौरव इस पुस्तक के बिहारी के दोहे इससे लिया गया है। इस दोहे के रचनाकार बिहारी लाल जी है।
संदर्भ. बिहारी लाल जी यह पर कनक के अर्थ बताकर वह हमारे लिए कितना हानिकारक है वह बताते हैं।
स्पष्टीकरण. इस दोहे में बिहारी जी कनक के बारे में बताते हैं कि कनक मतलब धतूरा इससे नशा हो जाती है और कनक मतलब सोना इसे देखते ही मनुष्य पागल हो जाता हैं।
2.) अति अगाधु अति औधरी, नदी, कूप, सरू बाइ
सो ताकी सागरू जहाँ, जाकी प्यास बुझाई ||
प्रसंग. यह दोहा साहित्य गौरव इस पुस्तक के बिहारी के दोहे इससे लिया गया है। इस दोहे के रचनाकार बिहारी लाल जी है।
संदर्भ. हम छोटे है या बड़े इससे फरक नहीं पड़ता। हमे हमारा काम करते रहना चाहिए।
स्पष्टीकरण. बिहारी जी कहते है कि इस दुनियां में पानी अलग अलग रूप में है, कुएं, सागर, नदी, सरोवर, सागर और कूप। लेकिन जिस पानी से हमारी प्यास बुझती ही वही हमारे लिए सागर जैसा है। इस दुनिया में बहुत सारे लोग है लेकिन सभी दानी नही है।
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