Karnataka 2nd PUC Hindi Madhyakalin Kavita Chapter 3 रहीम के दोहे Questions and Answers Solution, Notes by Expert Teacher. Karnataka Class 12 Hindi Solution Chapter 3.
There are 3 Parts in Karnataka Class 12 Textbook. Here You will find Madhyakalin Kavita Chapter 3 Raheem Ke Dohe.
Karnataka 2nd PUC Hindi Madhyakalin Kavita Chapter 3 – रहीम के दोहे Solution
- State – Karnataka.
- Class – 2nd PUC / Class 12
- Subject – Hindi.
- Topic – Solution / Notes.
- Chapter – 3
- Chapter Name – रहीम के दोहे.
I) एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
1.) बुद्धिहीन मनुष्य किसके समान है ?
बिना पूंछ और बिना सिंग के समान बुद्धिहीन मनुष्य है।
2.) किसके बिना मनुष्य का अस्तित्व व्यर्थ है ?
पानी मतलब इज्जत के बिना मनुष्य का अस्तित्व व्यर्थ है।
3.) चिता किसे जलाती है ?
निर्जीव शरीर को चिता जलाती है।
4.) कर्म का फल देनेवाला कौन है ?
कर्म का फल देनेवाला ईश्वर है।
5.) प्रेम की गली कैसी है ?
प्रेम की गली सांकरी है।
6.) रहीम किसे बावरी कहते हैं ?
रहीम अपनी जीभा को बावरी कहते है।
7.) रहीम किसे धन्य मानते हैं ?
कीचड़ मे रहनेवाले थोड़ी पानी को रहीम धन्य मानते है।
- II) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
1.) रहीम जी ने मनुष्य की प्रतिष्ठा के संबंध में क्या कहा है ?
रहीम जी कहते हैं कि हमने मनुष्य जन्म लिया है। हमे विद्या प्राप्त करनी चहिए। दान धर्म करना चहिए। अगर हम यह सब करते है तो ही हमारा मनुष्य जन्म सार्थक होता है। अगर हम दान धर्म न करे तो हम बिना सिंग और पूछ के पशु ही कहलाएंगे। समाज दान धर्म करने से ही हमे प्रतिष्ठा प्राप्त होती हैं। हमे यश मिलता है।
2.) रहीम जी ने चिता और चिंता के अंतर को कैसे समझाया है ? स्पष्ट कीजिए ।
चिता और चिंता दोनो ही हमे जलाती है। फरक इतना है की चिता निर्जीव मनुष्य को जलाती है और चिंता जीवित मनुष्य को जलाती है। चिंता हमे ज्यादा तकलीफ देती हैं। चिता से भी ज्यादा दुःख हमे चिंता देती हैं। इसीलिए हमे चिंता का सामना साहस से करना चाहिए और हमारी चिंता दूर करने की कोशिश करनी चाहिए।
3.) कर्मयोग के स्वरूप के बारे में रहीम के क्या विचार हैं?
रहीम कहते हैं की हमे हमेशा अपने कर्म करते रहना चाहिए। कर्म करते वक्त फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। हमारे कर्म का फल हमें स्वयं ईश्वर देते है। रहीम इसके लिए उदाहरण भी देते हैं कि खेल खेलने के लिए जो पासे लगते हैं वह हमारे हाथ में जरूर है, लेकिन खेल खेलने का दाव हमारे हाथ में नहीं है।
4.) अहंकार के संबंध में रहीम के विचार व्यक्त कीजिए ।
अहंकार के बारे में रहीम कहते हैं कि जब तक हमारे अंदर अहंकार है तब तक हम पर ईश्वर प्रसन्न नहीं हो सकता। अगर हमें ईश्वर की कृपा चाहिए तो अहंकार छोड़कर उसकी शरण जाना चाहिए। जब तक हमारे अंदर अहंकार रहेगा तब तक हम पर ईश्वर की कृपा नहीं होगी।
5.) वाणी को क्यों संयत रखना चाहिए ?
जब हम बोलते हैं तब बोलते वक्त हमें खुद पर संयम रखना चाहिए। क्योंकि हमारे बनने वाले बहुत सारे काम हमारी वाणी बिगाड़ देती है। जब से हमारे शब्द बाहर आते हैं और अगर हम गलत बातें करते हैं तो हमारे सर को जूते खाने पड़ते हैं।
6) .भगवान की अनन्य भक्ति के बारे में रहीम क्या कहते हैं ?
रहीम कहते हैं कि समुद्र में बहुत सारा पानी होता है लेकिन वह खड़ा होने की वजह से पीने लायक नहीं होता। कीचड़ में पानी थोड़ा होता है लेकिन वह पीने लायक तो होता है। इसी तरह हमें भगवान की भक्ति करनी चाहिए हमें थोड़ी सी भक्ति करनी चाहिए लेकिन वह पूरे मन से करनी चाहिए। हमें पढ़ाई नहीं करनी चाहिए। हमें हमारे काम करते वक्त एक-एक काम पूरा करना चाहिए सभी काम अगर हम एक साथ पूरे करने जाएंगे तो एक भी काम पुरा न होगा।
III) ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए:
1.) रहिमन पानी राखिये, बिनु पानी सब सून ।
पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून ॥
प्रसंग. यह दोहा साहित्य गौरव इस पुस्तक के रहीम के दोहे इससे लिया गया है। इस दोहे के रचनाकार रहीम जी है।
संदर्भ. इस दोहे में रहीम जी मनुष्य के प्रतिष्ठा के बारे में बातें करते हैं।
स्पष्टीकरण. रहीम जी कहते हैं कि पानी को हमेशा बचा के रखना चाहिए। पानी के रहीम जी ने तीन अर्थ बताए हैं। पानी के बिना चुने का कोई महत्व नहीं है। पानी के बिना मोती का मूल्य नहीं है यहां पानी मतलब चमक। और तीसरा अर्थ यह है कि पानी मतलब इज्जत मतलब मनुष्य को इज्जत के बिना कोई कीमत नहीं है। इसीलिए हमें हमेशा ही पानी को बचा के रखना चाहिए।
2.) धनि रहीम जल पंक को लघु जिय पिअंत अघाय ।
उदधि बड़ाई कौन है, जगत पिआसो जाय ||
प्रसंग. यह दोहा साहित्य गौरव इस पुस्तक के रहीम के दोहे इससे लिया गया है। इस दोहे के रचनाकार रहीम जी है।
संदर्भ. मनुष्य का कल्याण किस में है यह इस दोहे से हमें रहीम जी बताते हैं।
स्पष्टीकरण. रहीम जी कहते हैं कि बड़ा होने से कुछ नहीं होता लेकिन हमारा उपयोग छोटे होते हुए भी संसार को होना चाहिए। यहां पर रहीम जी यह उदाहरण देते हैं कि कीचड़ में थोड़ा सा पानी होता है लेकिन कीड़े मकोड़े उसे पानी को पीकर शांत हो जाते हैं। समुद्र में बहुत सारा पानी है लेकिन वह खारा होने की वजह से उसका उपयोग नहीं होता सभी सजीव वहां पर प्यासे ही रहते हैं। इसी तरह हम कितने भी छोटे क्यों ना हो अगर हम दूसरों की सहायता करते हैं तो हमारा जीवन धन्य माना जाता है।